पैट्रोल बम : Petrol Bomb
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Description
हालात ही कुछ ऐसे बन गये थे कि बलराज गोगिया और पुलिस एक दूसरे के दोस्त बन गये थे।
बलराज गोगिया सीरीज का प्रस्तुत उपन्यास ‘पैट्रोल बम’ जो ‘काला खून’ से शुरू हुआ था...इस उपन्यास पर खत्म हो रहा है।
1. काला खून
2. मौंत की बाहों में
3. पैट्रोल बम
प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।
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पैट्रोल बम
पुसिल स्टेशन में इंस्पेक्टर शिन्दे को एक लड़की फोन करती है कि अगर वह बलराज गोगिया का पता बता दे तो क्या उसके सिर पर लगा इनाम उसे मिलेगा? शिन्दे हां कहता है...और तब लड़की फोन पर अपना नाम सुनीता बताती है कहती है कि बलराज गोगिया अपने जोड़ीदार राघव के साथ नटराज होटल के कमरा नम्बर तैंतीस में ठहरा हुआ है।
शिन्दे फौरन सब इंस्पेक्टर भीमसिंह तथा कुछ सिपाहियों के साथ होटल नटराज की तरफ रवाना हो जाता है। इधर बलराज गोगिया के कमरे में संजीव नाम का एक आदमी आता है और उससे बीस हजार रुपये की मांग करते हुए बताता है कि पुलिस उसे पकड़ने के लिये आ रही है। बलराज गोगिया द्वारा यह पूछने पर कि उसे कैसे पता? संजीव बताता है कि सुनीता ने उसी की एसoटीoडीo से थाने फोन किया था।
पूछने पर संजीव सुनीता के बारे में बताता है कि वह एक कॉलगर्ल है...और वह उसे अच्छी तरह से जानता है। तब बलराज गोगिया उसे दस हजार और देने का वादा करता है और कहता है कि वह शाम सात बजे तक किसी सुरक्षित जगह पर छुपाने का बंदोबस्त करे।
संजीव उन्हें पीछे के रास्ते से निकाल ले जाता है और वहां से वह उन्हें लेकर अपने घर ले जाता है।
इधर शिन्दे दल-बल के साथ होटल पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि बलराज गोगिया वहां से फरार हो चुका है।
वह इधर-उधर के कमरों से पूछताछ करता है तो उसे पता चलता है कि संजीव उसके कमरे में आया था।
संजीव की एसoटीoडीo होटल के सामने होती है।
सिन्दे संजीव की एस.टी.डी. पहुंचता है तो वहां उसे ताला लगा नजर आता है।
तभी वहां सुनीता पहुंचती है और इनाम की बात करती है...मगर यह सुनकर उसका चेहरा बुझ जाता है कि बलराज गोगिया और राघव भाग गये हैं।
शिन्दे के पूछने पर वह बताती है कि उसे संजीव के घर का पता है।
शिन्दे तुरन्त उसे साथ लेकर संजीव के घर की तरफ रवाना हो जाता है।
अभी वह उसके घर से थोड़ी दूर ही होती है कि सुनीता सामने से आ रहे संजीव की तरफ इशारा करके बताती है कि वही संजीव है।
शिन्दे उसे पकड़ता है।
दो-तीन थप्पड़ों में ही संजीव टूट जाता है और बता देता है कि बलराज गोगिया और राघव उसके घर में छुपे हुए हैं।
शिन्दे संजीव को भी साथ ले उसके घर जाता है और संजीव को दरवाजा खुलवाने को कहता है।
मगर बलराज गोगिया और राघव को पता चल जाता है...सो वे छत के रास्ते से भागते हैं और केले से लदे एक ट्रक में कूद जाते हैं और फिर ट्क से ही रास्ते में बरगद के एक पेड़ के साथ लड़ककर ट्रक छोड़ देते हैं।
इधर शिन्दे को भी पता चल जाता है...सो वह ट्रक के पीछे भागता है...मगर ट्रक को पकड़कर जब वह उसकी तलाशी लेता है तो उसे पता चलता है कि वे रास्ते में ही कहीं उतर गये थे।
वह वहां से वापसी पकड़ लेता है।
इधर बरगद पर बैठा राघव बलराज गोगिया को कहता है कि वह बंदरगाह पहुंचे। वह बाद में वहां पहुंच जायेगा।
बलराज गोगिया भी समझ जाता है कि अब दोनों का एक साथ रहना खतरे से खाली नहीं...सो वह मान जाता है और पेड़ से उतरकर चला जाता है।
थोड़ी देर बाद जब राघव पेड़ से उतरता है तो ठीक उसी वक्त शिन्दे वहां पहुंचता है।
राघव वहां से भागता है...मगर शिन्दे उसकी दोनों टांगों में गोली मार देता है और राघव को गिरफ्तार कर लेता है।
उसी शाम को बलराज गोगिया को अखबार के जरिये राघव की गिरफ्तारी का पता चलता है तथा यह भी पता चलता है कि राघव की एक टांग से गोली निकाली जा चुकी है...जबकि दूसरी टांग में गोली हड्डी में फंसी हुई है...जिसके लिये ऑपरेशन करना पड़ेगा।
बलराज गोगिया तय करता है कि वह राघव को उसकी टांग के ऑपरेशन के बाद ही फरार करायेगा।
और फिर उसका ध्यान सुनीता की तरफ जाता है। उसी की मुखबिरी से ही राघव गिरफ्तार हुआ था और उसे गोली लगी थी...सो वह सुनीता को खत्म करने का फैसला करता है।
इधर बलराज गोगिया का दोस्त विक्की हकूमत शाह को बताता है कि बलराज गोगिया मुम्बई में ही है और उसका जोड़ीदार अस्पताल में पड़ा है।
हकूमत शाह वीरू शाह तथा जयपाल को राघव की सुरक्षा के प्रबन्धों को पता लगाने को कहता है तथा विक्की से कहता है कि वह बलराज गोगिया को ढूंढे। साथ ही वह कहता है कि वह अपने घर की चाबी पड़ोसी को दे जाये...ताकि बलराज गोगिया अगर गैरहाजिरी में आये भी तो वह वहीं रहकर उसका इन्तजार करे।
उधर बलराज गोगिया बसई में सुनीता के घर पहुचता है तो उसे पता चलता है कि सुनीता कॉलगर्ल अपनी ऐश के लिये नहीं बनी, बल्कि मजबूरी में बनी है। उसकी मां को बल्ड कैंसर है तथा वह उसे अमेरिका ले जाने के लिये पैसा इक्ट्ठा कर रही है....ताकि वह अपनी मां का इलाज करा सके।
बलराज गोगिया के दिल में सुनीता के लिये हमदर्दी उमड़ आती है। तभी वहां सुनीता पहुंचती है और बलराज गोगिया को अपने घर में देखकर डर जाती है। तब बलराज गोगिया उसे बताता है कि वह आदि मुजरिम नहीं...वह अपराध करने का ख्वाहिशमंद नहीं, बल्कि अण्डरवर्ल्ड के ठेकेदारों ने उसे मुजरिम बनने के लिये मजबूर कर रखा है और फिर वह सुनीता को एक लाख रुपये देकर कहता है कि वह अपने दोस्त से रुपये लाकर देगा और फिर जो कमी रह जायेगी...वह उसे पुलिस से मिलने वाले इनाम से पूरी हो जायेगी...इस तरह वह अपनी मां को अमेरिका ले जाकर उसका इलाज करा सकेगी।
उसके जाने के बाद सुनीता को महसूस होता है कि बलराज गोगिया की मुखबिरी करके उसने अच्छा नहीं किया।
बलराज गोगिया पैसा लेने के लिये विक्की के घर पहुंचता है। तो वहां उसे एक पड़ौसन से चाबी मिलती है। उसे हैरानी होती है कि विक्की को कैसे पता कि वह उसके पास आयेगा। वह विक्की के घर में प्रवेश करता है तो उसे अन्दर विक्की की पत्नी मारिया की तस्वीर पर हार चढ़ा नजर आता है। मारिया की मौत पर उसे गहरा सदमा पहुंचता है।
तभी फोन आता है...दूसरी तरफ से हकूमत शाह कहता है कि वह बलराज गोगिया है...मगर वह स्वयं को बलराज गोगिया न मानते हुए फोन रख देता है।
थोड़ी देर बाद विक्की पहुंचता है।
विक्की उसे बताता है कि किस तरह अण्डरवर्ल्ड के सरगना थापर ने बिना किसी कसूर के उसकी गर्भवती मारिया को मार डाला था और फिर यह बताता है कि वह उन दिनों चल रहे हकूमत शाह और थापर के गैंगवार में हकूमत शाह को बहुत ही बुरी हार का सामना करना पड़ा।
तब बललाज गोगिया उसे बताता है कि उसके पीछे हकूमत शाह का फोन आया था।
विक्की बलराज गोगिया को हकूमत शाह के पास ले जाता है।
हकूमत शाह उसके अपने बचे परिवार तथा दो वफादार व्यक्ति से उसका परिचय कराता है और कहता है कि थापर को खत्म करने में वह उसकी मदद करे।
लेकिन बलराज गोगिया इन्कार कर देता है।
पूछने पर वह अपनी मजबूरी बताता है कि सुनीता की मां के इलाज के लिये उसने स्वयं को सुनीता के हवाले कर दिया है, ताकि वह उसे गिरफ्तार कराकर उससे मिलने वाले इनाम से अपनी मां का इलाज करा सके।
तब हकूमत शाह का बड़ा लड़का वीरू शाह कहता है कि सुनीता को चार लाख चाहियें...वो उसे मिल जायेंगे। उसके पास हीरे की अंगूठी होती है...वह कहता है कि वह उस अंगूठी को बेचकर रुपये दे देगा।
तत्पश्चात् हकूमत शाह बलराज गोगिया को कहता है कि वह राघव को फरार कराने की योजना बना रहा था। मगर बलराज गोगिया कहता है कि ऑपरेशन होने तक राघव को फरार नहीं कराना...क्योंकि अगर उसे फरार करा दिया तो फिर उसका ऑपरेशन नहीं हो पायेगा।
तब हकूमत शाह कहता है कि डॉक्टर कुलकर्णी बहुत बड़ा सर्जन है और उस पर उसके बहुत अहसान हैं। वह राघव का ऑपरेशन करेगा।
बलराज गोगिया मान जाता है उसी रात वह एक बेहतरीन चाल चलकर पुलिस के तमाम प्रबन्धों को धत्ता बताते हुए राघव को अस्पताल से फरार कराकर ले जाता है।
डॉक्टर कुलकर्णी राघव की हालत देखता है तो कहता है कि राघव की टांग में जहर फैल चुका है...इसीलिये उसकी टांग काटनी पड़ेगी।
बलराज गोगिया के दिल को धक्का लगता है। अपने यार की जिन्दगी बचाने के लिये वह राघव की टांग कटवाने को राजी हो जाता है।
राघव के लिये वीरू शाह अपना खून देता है।
अगले दिन सुबह थापर को पता चलता है कि बलराज गोगिया राघव को ले निकला है। वह यही समझता है कि हकूमत शाह ने अपनी मदद के लिये बलराज गोगिया को बुलाया है।
वह अपने दाहिने हाथ अजगर सिंह को हकूमत शाह के घर भेजता है...लेकिन हकूमत शाह नहीं मानता कि बलराज गोगिया से उसका कोई रिश्ता है। वहां से अजगर सिंह सीधा थाने जाता है...और कहता है कि वह बलराज गोगिया को जल्दी ढूंढे।
शिन्दे खुद उसे पकड़ने को तड़प रहा होता है।
इधर अजगर के जाते ही हकूमत शाह विक्की के घर फोन करके बलराज गोगिया को अजगर सिंह के आने की बात बताता है और कहता है कि वह उसके घर अभी न जाये...क्योंकि हो सकता है थापर ने उसकी निगरानी शुरू करा दी हो।
तब बलराज गोगिया अपने चेहरे का मेकअप करता है और अपनी सूरत में काफी बदलाव ला देता है।
तभी वीरू शाह अपनी अंगूठी बेचकर उससे मिले रुपये लेकर वहां पहुंचता है और बलराज गोगिया का बदला रूप देखकर दंग रह जाता है। वह उसे रुपये देता है।
इधर अजगर पाण्डु तथा भीखू नाम के दो आदमियों को सुनीता के घर भेजता है। उसे विश्वास होता है कि राघव को घायल कराने वाली सुनीता से बदला लेने के लिये बलराज गोगिया वहां जरूर आयेगा। अपने आदमियों को उसने हुक्म दिया होता है कि बलराज गोगिया को देखते ही वे गोली से उड़ा दें।
दोनों सुनीता के घर पहुंचते हैं और वहीं जम जाते हैं। सुनीता भीतर-ही-भीतर ऊपर वाले से दुआ मांगती है कि बलराज गोगिया वहां न आये।
तभी बलराज गोगिया वहां पहुंच जाता है।
मेन गेट पर सुनीता से बात करते हुए ही उसे संदेह हो जाता है कि अन्दर कोई है और तभी पाण्डू समने आ जाता है।
बलराज गोगिया बहाना बनाकर सुनीता को आधे घण्टे के लिये ले जाता है और उससे पूछता है। सुनीता बताती है कि वे दोनों यहां क्यों आये हैं।
बलराज गोगिया उसी वक्त फोन करके विक्की को रिवॉल्वर लेकर आने को कहता है और फिर वह सुनीता के घर में ही दोनों को गोली से उड़ा देता है।
उन्हें खत्म करने से पहले वह जान लेता है कि वे थापर के आदमी हैं और वे उन्हें खाटकर के बारे में बताते हैं।
विक्की दोनों की लाशों को टैक्सी में डालकर ले जाता है।
तब बलराज गोगिया सुनीता को कहता है कि वह उसे चार लाख देने आया था...मगर तब उसे चार लाख तभी मिलेगा जब उसका पासपोर्ट और वीजा तैयार हो जायेंगे और वह चार लाख वापिस विक्की के घर ले आता है।
बलराज गोगिया हकूमत शाह की कोठी पहुंचता है तो उसे कोठी पर नजर रखने वाले एक व्यक्ति का पता चलता है।
चूंकि वह मेकअप में होता है...इसीलिये वह व्यक्ति उसे पहचान नहीं पाता।
वह वयक्ति बूट पॉलिश वाला बनकर फूटपाथ पर बैठा होता है।
बलराज गोगिया जानबूझ कर उससे हकूमत शाह के छोटे लड़के किशोर शाह के बारे में पूछता है। उस व्यक्ति के पूछने पर वह बताता है कि वह किशोर के रिश्ते के लिये आया है।
इस तरह वह उस व्यक्ति के दिल में यह बात बिठाने में कामयाब हो जाता है कि वह कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं।
वह हकूमत शाह को सारी बात बताता है और कहता है कि सुनीता का पासपोर्ट जल्द-से-जल्द बनवाये।
वीरू शाह उसे कहता है कि वह परसों तक सारा काम करा देगा।
तब हकूमत शाह उससे कहता है कि भीखू और पाण्डु की मौत के साथ ही उसकी और थापर की लड़ाई शुरू हो गई है।
अगले रोज बलराज को राघव के सफल ऑपरेशन का पता चलता है। वीरू शाह उससे कहता है कि वह शाम को राघव से मिल सकता है।
इधर हकूमत शाह के कहने पर डॉक्टर कुलकर्णी राघव को अपन पुराने घर में शिफ्ट करा देता है, ताकि अगर पुलिस पूछताछ करे तो उसे कोई संदेह न हो।
बलराज गोगिया सुनीता को कहता है कि उसका पासपोर्ट जल्दी बन जायेगा। तब सुनीता राघव से मिलने की इच्छा व्यक्त करती है। बलराज गोगिया उससे कहता है कि शाम को विक्की उसे ले जायेगा।
शाम को बलराज गोगिया कुलकर्णी के घर में राघव से मिलता है और उससे मिलकरर खूब रोता है। राघव भी रोता है। अपनी टांग कट जाने का उसे बहुत दु:ख होता है।
तभी सुनीता विक्की के साथ वहां पहंचती है और राघव को कहती है कि उसकी गुनाहगार वह है तथा वह उसे अपना भाई बना लेती है।
राघव उसे माफ कर देता है।
उसी वक्त सुनीता बलराज गोगिया के सामने अपने प्यार का इजहार करती है...जिसे बलराज गोगिया ठुकरा देता है।
सुनीता को दु:ख होता है...लेकिन विक्की के हौंसला देने पर वह मन में ठान लेती है कि वह बलराज गोगिया को पाकर ही रहेगी।
अगले दिन इंस्पेक्टर शिन्दे को ऊपर से ऑर्डर आता है कि वह सुनीता की तफ्तीश करे और यह पता लगाये कि क्या वाकई में उसकी मां को कैंसर है ताकि उसका वीजा तैयार किया जा सके।
शिन्दे अजगर को फोन करके तफ्तीश के बारे में बताता है।
अजगर खाटकर को सुनीता के घर पहुंचाता है तो भीखू और पाण्डु को गायब देख उसे संदेह होता है। वह सारी रिपोर्ट अजगर को देता है।
अजगर थापर से सलाह-मशविरा करता है और अपने आदमी भेजकर सुनीता को अगवा करा लेता है और उसकी मां को मरवा देता है।
तभी शिन्दे वहां पहुंचता है और यह हवा उड़ा देता है कि चुंकि सुनीता ने बलराज गोगिया की मुखबिरी की थी, इसी से गुस्से में आकर उसी ने सुनीता का अपहरण किया है और उसकी मां को भी उसी ने मारा है।
सुनीता के अपहरण के वक्त विक्की वहीं होता है सो वह बलराज गोगिया को खबर करता है।
बलराज सीधा खाटकर के घर पहुंचता है और उससे सुनीता के बारे में पूछता है। मगर खाटकर कुछ भी नहीं जानता होता सो वह उसे खत्म कर देता है।
तब बलराज गोगिया उसकी पत्नी माधुरी से पूछताछ करता है...तो माधुरी बताती है कि उसका अजगर के साथ सम्बन्ध जरूर हैं, लेकिन वह उसके बारे में कुछ नहीं जानती और न ही किसी ऐसे आदमी को जानती है जो अजगर के बारे में पूरा जानता हो। उसे बस एक फोन नम्बर ही पता होता है जोकि वह उसे बता देती है।
बलराज गोगिया माधुरी को बेहोश करके चला जाता है।
उधर होटल गोल्ड के बेसमेंट में अजगर सुनीता को बुरी तरह से टॉर्चर करता है...लेकिन सुनीता कुछ भी नहीं बताती। तब थापर कहता है कि उसकी मां को मार दिया जाये।
सुनीता को पता नहीं होता कि उसकी मां तो कब की मर चुकी थी, सो वह टूट जाती है और बलराज गोगिया के बारे में बता देती है। राघव के बारे में वह यह बताती है कि वह मर चुका है।
बलराज गोगिया हकूमत शाह की कोठी पर पहुंचता है और कहता है कि वे जल्द-से-जल्द वह कोठी छोड़ दे...राघव को भी कहीं और शिफ्ट करा दे।
पूछने पर वह सुनीता के अपहरण की बात बताता है और खाटकर की मौत के बारे में बताता है। वह कहता है कि होश में आते ही माधुरी अवश्य ही अजगर को उसके बारे में बतायेगी और तब थापर को पता चलते देर नहीं लगेगी कि हकूमत शाह और
बलराज गोगिया आपस में मिले हुए हैं।
तब हकूमत शाह उसे बताता है कि वह सेवक नाम के एक आदमी के यहां छुप सकता है जोकि उसी गैंग का एक सदस्य था।
बलराज गोगिया उन्हें बताता है कि वे सभी कोठी पर नजर रख रहे थे, सो वह थापर के आदमियों की नजरों से बचकर निकले और फिर वह सेवक का पता पूछकर चला जाता है।
अजगर अपने गैंग के सभी सिपहसलारों को फोन करके बलराज गोगिया के नये रूप के बारे में बताता है और कहता है कि जहां भी वह मिले, उसे खत्म कर दिया जाये।
इधर बलराज गोगिया माधुरी से पता लगे फोन नम्बर के पते पर पहुंचता है जहां पर कि उसका सामना कुन्दन लाल वागी से होता है।
वह कुन्दन लाल वागी से पूछताछ करता है तो उसे पता चलता है कि थापर को उसके नये रूप का पता चल गया है। साथ ही उसको पता चलता है कि अजगर का प्रीति नाम की एक लड़की से अशिकाना है जिसे कि अजगर ने फ्लैट दे रखा है।
बलराज गोगिया उससे फ्लैट का पता पूछता है और फिर उसे खत्म करके अजगर को फोन करता है और जंग का ऐलान कर देता है।
इधर अजगर को पता चल जाता है कि बलराज गोगिया हकीकत में ही हकूमत शाह से मिला हुआ है। वह अपने कई गुर्गों को लेकर हकूमत शाह की कोठी पहुंचता है...लेकिन पंछी उसके पहुंचने से पहले ही फुर्र हो चुका होता है।
उसे खाली हाथ वापिस लौटना पड़ता है।
बलराज गोगिया कुन्दन लाल वागी के घर में ही अपना मेकअप उतार देता है और अपनी असली सूरत में प्रीति के फ्लैट पर पहुंचता है...जहां पर कि उसे पता चलता है कि खुद प्रीति भी अजगर की मौत की तलबगार है, क्योंकि वह उसकी इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर पाता।
प्रीति बलराज गोगिया को अजगर के भेद इस शर्त पर बताने को तैयार होती है कि वह उसकी शारीरिक जरूरत को पूरा करे।
बलराज गोगिया को हां करनी पड़ती है और वह प्रीति से अजगर के बारे में काफी जानकारी लेकर प्रीति को खुश करता है।
प्रीत बलराज गोगिया को कहती है कि अगर आगे से कभी भी उसकी जरूरत हो तो वह उसकी मदद करेगी...लेकिन शर्त वही होगी कि उसे प्रीति के साथ सहवास करना पड़ेगा।
वहां से बलराज गोगिया सीधा सेवक के घर पहुंचता है जहां पर कि उसे सभी मिलते हैं। वह राघव के बारे में पूछता है तो उसे पता चलता है कि वह सो रहा है। सेवक की पत्नी ने उसे नींद का इंजेक्शन लगाया था।
वह हकूमत शाह को सारी बात बताता है।
हकूमत शाह उससे पूछता है कि अब वह सुनीता को कैसे आजाद करायेगा...तो बलराज गोगिया उसे बताता है कि उससे पहले कि वह शिन्दे को खत्म करेगा जिसने उसके दोस्त की टांगों में गोलियां मारी थीं। उसी के कारण सुनीता की मां की भी मौत हुई।
वह अजगर की आवाज में फोन करके शिन्दे को कहता है कि शिव मन्दिर के पीछे वाले खण्डहरों में बलराज गोगिया मरा पड़ा है...वह उसे बरामद कर अपने नम्बर बना ले।
लालच में फंसा शिन्दे खण्डहरों में पहुंचता है जो वहां उसका सामना बलराज गोगिया तथा विक्की से होता है।
बलराज गोगिया के जाल में खुद को फंसा देख शिन्दे दुहाई देता है कि वह उसे छोड़ दे। वह कहता है कि जब थापर की भेजी हड्डी ऊपर तक पहुंचती है तो वह अकेला ईमानदारी कैसे निभा सकता है। वह खुद चाहता है कि थापर की मौत हो, क्योंकि उसका सप्लाई हो रहा नशा नौजवान पीढ़ी की नसों में जहर भर रहा है।
वह कहता है वह उसके जासूस के तौर पर काम करेगा और जितना हो सकेगा थापर की सूचनायें उसे देगा।
बलराज गोगिया उसे छोड़ देता है।
उसके जाने के पश्चात् शिन्दे ऐसा नाटक खेलता है मानो उसके और बलराज गोगिया के बीच गोलीबारी हुई हो और फिर खुद को बेहोश कर देता है।
थाने में भीमसिंह को फोन मिलता है कि शिन्दे खण्डहरों में पड़ा है।
वह वहां पहंचता है और उसे उठाकर अस्पताल ले जाता है।
उसके होश में आने के बाद उसके ऑफिसर उसकी पीठ ठोंकते हुए उसे हौंसला देते हैं कि बलराज गोगिया एक बार बचकर निकल गया तो अगली बार पकड़ा जायेगा। उसने अपना फर्ज तो निभाया।
यहां तक की कहानी आपने ‘काला खून’ में पढ़ी।
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Additional information
Book Title | पैट्रोल बम : Petrol Bomb |
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Isbn No | |
No of Pages | 280 |
Country Of Orign | India |
Year of Publication | |
Language | |
Genres | |
Author | |
Age | |
Publisher Name | Ravi Pocket Books |
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