वन्देमातरम् : Vandematram by Sunil Prabhakar

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Description

ये उपन्यास नहीं, दस्तावेज है राष्ट्र के उन सपूतों की राष्ट्रभक्ति का जिन्होंने स्वयं को राष्ट्र हित और राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को फना कर दिया और खुद गुमनाम रहे। राष्ट्र से अपनी भक्ति के बदले वरदान के रुप में न पद मांगा, न प्रतिष्ठा। वो ‘वन्दे मातरम्’ कहते हुए राष्ट्र के नाम शहीद हो गए और तबाह भी।

प्रस्तुत उपन्यास को पढ़ते समय आपका मन भी राष्ट्रप्रेम की धारा में ऐसा बहेगा कि आपका रोम-रोम कह उठेगा...वन्दे मातरम् !

सुनील प्रभाकर का बेहतरीन थ्रिलर उपन्यास वन्देमातरम्

 

वन्देमातरम् : Vandematram

Sunil Prabhakar सुनील प्रभाक

Ravi Pocket Books

BookMadaari

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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  1. admin

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Additional information

Book Title

वन्देमातरम् : Vandematram by Sunil Prabhakar

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No of Pages

236

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India

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Ravi Pocket Books

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