Sulag Utha Sindoor : सुलग उठा सिन्दूर

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Description

"लो दीपा, कल शहर में एक और बड़ी डकैती पड़ गई!"

देव और दीपा एक अच्छी खुशहाल ज़िन्दगी जी रही थी। देव को बस एक ही बात खलती थी। उसके पास उतना पैसा नहीं था जिसकी उसे तमन्ना थी। वो इसी फिराक में रहता था कि कैसे उसे पैसे मिले और वो अपनी ज़िन्दगी को उस हिसाब से जी सके जिसके वो ख्वाब देखा करता था।

फिर उसकी ज़िन्दगी में ऐसी परिस्थिति आई जिसके चलते उसकी ज़िन्दगी में दस लाख रूपये की आमद तय हो गई। वैसे तो वो पैसे एक डकैती के थे लेकिन देव को पूरा यकीन था वो इन पैसों को आसानी से अपनी मिलकियत बना सकता था। यही कारण था उसने दीपा के मशवरे को ताक पर रखकर पैसे को हथियाने की ठानी।

दीपा को लगने लगा कि पैसे की चाह ने देव को इतना अँधा कर दिया है कि जिस दीपा के लिए देव ने कभी दुनिया से बगावत की थी उसी दीपा को वह पैसों के लिए कुर्बान भी कर देगा।

और फिर जैसे दीपा और देव की ज़िन्दगी में भूचाल सा आ गया। और ऐसी घटनाएं होने लगी कि वो दोनों उस वक्त को कोसने लगे जब पैसे उनकी ज़िन्दगी में आये थे।

आखिर ऐसा क्या  हुआ देव और दीपा के साथ?  

ये कौन से पैसे थे जो देव के हाथ लगने थे ? क्या देव के हाथ वो पैसे लग सके?

क्या दीपा का डर सही साबित हुआ?

 आखिर इन दोनों किरदारों के क्या हुआ?

इन सब बातों के जवाब तो आपको इस उपन्यास को पढ़कर हासिल होंगे।

सुलग उठा सिन्दूर

No-110

वेद प्रकाश शर्मा

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कतई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों व दुर्व्यसनों से दूर ही रहें। यह उपन्यास 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यास आगे पढ़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।  प्रूफ संशोधन कार्य को पूर्ण योग्यता व सावधानीपूर्वक किया गया है, लेकिन मानवीय त्रुटि रह सकती है, अत: किसी भी तथ्य सम्बन्धी त्रुटि के लिए लेखक, प्रकाशक व मुद्रक उत्तरदायी नहीं होंगे।

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Additional information

Book Title

Sulag Utha Sindoor : सुलग उठा सिन्दूर

Isbn No

No of Pages

280

Country Of Orign

India

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Ravi Pocket Books

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