Sanp Ke Muah Main Chachundar: सांप के मुंह में छछुन्दर

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Description

सबसे बड़ा घाव और उसकी टीस, प्यार में धोखा खाने पर पैदा होती है और आदमी बदले की किसी भी हद तक जा सकता है। फिर चाहें कयामत ही क्यों न आ जाय! 
लेकिन, विनाश उससे भी ज्यादा तब होता है, कहर इससे भी ज्यादा तब होता है, जब एक शख्स ‘पावर’ पाने के लिए मतांध हो जाता है– तब वो एक बिगड़े हुए हाथी की माफिक चारों तरफ केवल विनाश ही करता है। कुछ इसी प्रकार का कथानक है प्रस्तुत उपन्यास का।

लेकिन... इन दुष्ट ताकतों को यूं ही अपनी मनमर्जी करने के लिए समाज में ‘छुट्टा’ छोड़ा भी नहीं जा सकता- इसीलिए इन पर ‘लगाम’ कसने के लिए, इन्हें ‘पटकी’ देकर सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए ‘दिमाग का जादूगर’ केशव पण्डित सरीखे देश–रक्षकों को इनसे दो–दो हाथ करना लाजिमी हो जाता है।

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

Sanp Ke Muah Main Chachundar: सांप के मुंह में छछुन्दर

Isbn No

No of Pages

336

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India

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Ravi Pocket Books

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