मेरा पति जिन्दा करो : Mera Pati Zinda Karo by Rakesh Pathak

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Description

एक अनोखे कत्ल की कहानी जिसने न केवल मकतूल को बर्बाद किया बल्कि कानून और कानून के मुहाफिजों को भी हिलाकर रख दिया। कत्ल की इतनी सटीक प्लानिंग कि कानून के मुहाफिज तक उसके जाल में फंस गए और बेकसूर को फांसी पर लटका दिया। जब भेद खुला तो उसकी विधवा घायल नागिन बनकर कानून के उन मुहाफिजों को डसने निकल पड़ी जिन्होंने उसके पति को फांसी पर लटकाया था। फिर और भी कई अनोखे कत्लों की पटकथा लिखी गई। ​

 

मेरा पति जिन्दा करो : Mera Pati Zinda Karo

Rakesh Pathak

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

मेरा पति जिन्दा करो : Mera Pati Zinda Karo by Rakesh Pathak

Isbn No

No of Pages

192

Country Of Orign

India

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Publisher Name

Ravi Pocket Books

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