Kechua Banega Naag : केंचुआ बनेगा नाग

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Description

यह कहानी उस इंसान की है जिसे लड़ने से दर लगता था- वह किसी की क्या अपनी रक्षा कर पाने में भी असमर्थ था।  उसकी इसी बुजदिली की वजह से उसे हर बार किसी ने दुत्कारा... यहां तक कि जिससे वह बेपनाह मोहब्बत करता था, वह भी उसे छोड़ किसी और की हो गई- जबकि वह खुद उसके लिए बर्बाद हो गया था। 
हालत ने कदम कदम पर उसे ऐसी पीड़ा पहुंचाई कि केंचुआ बना वह इंसान नाग बन गया... ।

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

Kechua Banega Naag : केंचुआ बनेगा नाग

Isbn No

No of Pages

318

Country Of Orign

India

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Genres

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Publisher Name

Ravi Pocket Books

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