हत्यारी औरत : Hatyari Aurat by Sunil Prabhakar

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Description

वो चौदहवीं के चांद-की उज्जवल छटा-सी निर्मल थी। सर्दी की धूप-सी मखमली नजर आती थी। उसका जिस्म खुजराहों की मूर्तियों की मानिन्द तराशा हुआ सुडौल था। उसकी हिरनी-सी आंखों में सम्मोहन था जो किसी को भी अपने वश में करने की कुव्वत रखता था।

मगर...।

वो जब भी सामने आती थी तो देखने वाले को साक्षात् मौत ही नजर आती थी क्योंकि...

वो मौत की परकाला ही थी।

वो हत्यारी औरत थी।

 

हत्यारी औरत : Hatyari Aurat

Sunil Prabhakar  सुनील प्रभाकर

Ravi Pocket Books

BookMadaari

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

हत्यारी औरत : Hatyari Aurat by Sunil Prabhakar

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192

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India

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Ravi Pocket Books

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