एक कत्ल और : Ek Katal Aur by Sunil Prabhakar

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Description

युवा कलम का सिपाही प्रभात अहूजा बेधड़क जुर्म के खिलाफ लिख रहा था मगर शहर के तीन सफेदपोश शैतानों को उसकी वो हिमाकत पसन्द नहीं आई। उन्होंने सीर्फ उसे ही नहीं मारा बल्कि उसका बीज नाश कर दिया।

फिर भी कोई तो था जो उनके काले कारनामों का हिसाब रख रहा था। उसने जब उनके कर्मों का हिसाब-किताब बैलेन्स करना शुरू किया तो कत्ल का ह्रदयविदारक सिलसिला शुरू हो गया। वो जिधर कदम बढ़ाते उन्हें वहीं पर लाशें पड़ी मिलती अन्तत: उनका भी अनोखे अन्दाज में कत्ल होना तो तय था...।

 

एक कत्ल और : Ek Katal Aur

Sunil Prabhakar सुनील प्रभाक

Ravi Pocket Books

BookMadaari

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

एक कत्ल और : Ek Katal Aur by Sunil Prabhakar

Isbn No

No of Pages

304

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India

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Ravi Pocket Books

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