धरती के सपूत : Dharti Ke Saput by Rakesh Pathak

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Description

विश्वविजय का ख्वाब देख रहे पागल वैज्ञानिक सिंगही ने अपना पागलपन सारे विश्व में बांटना शुरु कर किया तो दुनिया में त्राहि मच गई। सरकारें बौखला गईं। अनेक देश सिंगही के सामने घुटने टेकने पर विवश हो गए।

दिक्कत ये थी कि ना तो किसी को पता था कि वो दुनिया को पागल कैसे कर रहा था, ना यह पता था कि वह कहां पर था?

 

फिर उसे तलाश करने के लिए भारत के सपूत भारत और आकाश निकल पड़े मौत के सफर पर। फिर कारवां बढ़ता गया और मौत का सफर और ज्यादा भयानक होता चला गया। 

 

धरती के सपूत : Dharti Ke Saput

Rakesh Pathak

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

धरती के सपूत : Dharti Ke Saput by Rakesh Pathak

Isbn No

No of Pages

156

Country Of Orign

India

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Publisher Name

Ravi Pocket Books

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