बहन के कटे हाथ : Behen Ke Kate Hath by Rakesh Pathak

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Description

विजया कानून की रक्षक ही नहीं घनघोर पुजारिन थी। कानून की रक्षा करने के लिए मुजरिम को जेल भेजने में उसका कतई यकीन नहीं था। वो अपराधी को जहन्नुम का रास्ता दिखाती थी। कानून की रक्षा करते-करते उसका टकराव पहले नेता पुरुषोत्तम लाल से हुआ। नेता पुरुषोत्तम लाल तो शैतान था, उसे कानून के हण्टर से जोगिना का नाच नचाया तो उसका टकराव हुआ शैतानों-के-शैतान शेषनाग से। कंस और हिरण्यकश्यप का सम्मित रूप। शान्ति नगर को उसने नर्क बना रखा था। वासुकी के नेतृत्व में उसके पास राक्षसों की पूरी सेना थी।

शेषनाग ने विजया को जब कुचलना शुरु किया तो उसे तबाह करके रख दिया। उसके भावी पति विनय को यूं बेरहमी से मारा कि खुद क्रूरता शर्मा जाए। उसने विजया के वो दोनों हाथ भी काट डाले जिनसे वो अपराधियों के जहन्नुम के टिकट काटती थी...।

काश शेषनाग जानता होता—वो ‘कत्ल की मशीन’ अमरकान्त की बहन थी।

उस भाई की दास्तान, जिसने अपनी बहन के कटे हाथों का बदला लेने के लिए गुण्डों की दुनिया में लाशों का अम्बार खड़ा कर दिया।

“राकेश पाठक” ने प्रस्तुत उपन्यास में कत्ल की मशीन का खिताब पाने वाले अमरकान्त और इस युग का चाणक्य कहे जाने वाले कृष्णदेव को एक साथ प्रस्तुत करके आपके लिए नायाब तोहफा पेश किया है।

सावधान होकर पढ़िए—कहीं आपका ब्लड प्रेशर हाई न हो जाए।

 

बहन के कटे हाथ : Behen Ke Kate Hath

Rakesh Pathak

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

बहन के कटे हाथ : Behen Ke Kate Hath by Rakesh Pathak

Isbn No

No of Pages

200

Country Of Orign

India

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Publisher Name

Ravi Pocket Books

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