Aaj Ka Ravan : आज का रावण (भाग-2)

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Description

ऐसे ऐसे जुल्म किये थे उसने की विजय विकास ने जब सुना तो एक ही कसम खाई। यह कि वे उस आज के रावण को किसी भी हालत में जिन्दा नहीं छोड़ेंगे लेकिन जब वो शख्स उनके सामने आया तो दोनों के होश फाख्ता हो गए क्यूंकि वो, वो था जिसकी वो पूजा करते थे। क्या वे उस शख्स को उसके किये की सजा दे सके?

विजयदशमी को लंका के रावण का दहन, हम हर वर्ष करते हैं, पर समाज के कोने-कोने में पैदा हो रहे आज के रावणों की ओर से हम क्यों आँख मूंद लेते हैं, यह सवाल इस उपन्यास को पढ़ने के साथ आपके जेहन में अवश्य सिर उठाएगा। 

मेरे बच्चे मेरा घर (भाग-1)

No.- 111

आज का रावण (भाग-2)

No.- 112

वेद प्रकाश शर्मा

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कतई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों व दुर्व्यसनों से दूर ही रहें। यह उपन्यास 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यास आगे पढ़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।  प्रूफ संशोधन कार्य को पूर्ण योग्यता व सावधानीपूर्वक किया गया है, लेकिन मानवीय त्रुटि रह सकती है, अत: किसी भी तथ्य सम्बन्धी त्रुटि के लिए लेखक, प्रकाशक व मुद्रक उत्तरदायी नहीं होंगे।

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Book Title

Aaj Ka Ravan : आज का रावण (भाग-2)

Isbn No

No of Pages

282

Country Of Orign

India

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Ravi Pocket Books

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